बोले हुए शब्द वापस नहीं आते
*बोले हुए शब्द वापस नहीं आते*
नैना एक संपन्न परिवार की बेटी थी। भगवान की कृपा से उनके पास किसी भी चीज की कोई कमी ना थी। नैना के पिता जी बहुत बड़े जमींदार थे।और दूर दूर तक उनका यश फैला हुआ था। नैना के पिताजी बहुत ही शालीन और सभ्य पुरुष थे तथा स्थिति की गंभीरता को समझते थे। साथ ही उनमें मानवता की भावना कूट कूट कर भरी हुई थी। यह तो जगविदित है कि जहाँ लोग संपन्न होते हैं वहाँ साजिशें भी होती हैं और उन्हें नीचा दिखाने के लिए लोग खुद बहुत नीचे गिर जाते हैं। कुछ ऐसा ही नैना के परिवार के साथ भी होता था। नैना के पिता जी को उसके कुछ गाँव वाले केवल इसलिए पसंद नहीं करते थे क्योंकि वो संपन्न थे। गाँव वालों के द्वारा नैना के पिता जी को तरह तरह से सताया जाता था तथा समाज से बहिष्कृत करने की कूटनीति भी की जाती थी।
नैना एक 16 वर्षीय बच्ची थी। वह बहुत ही सभ्य सुशील और संस्कारी थी। साथ ही उसका व्यवहार सभी को बहुत प्रिय था। वो बड़ों का सम्मान और छोटों को प्यार देना खूब जानती थी।नैना पढ़ाई में भी बहुत होशियार थी और अपने सभी शिक्षकों की प्रिय थी। लेकिन नैना अपने गाँव वालों की कूटनीति का शिकार हो गई। नैना के चरित्र पर झूठे आरोप लगाए गए। और बिना जाने , सोचे समझे उसे बदनाम किया गया।नैना स्कूल से घर और घर से स्कूल तक का ही सफर तय करती थी। उसके गाँव में भी कोई दोस्त नहीं थे जिनके साथ वो खेलती। लेकिन दुष्ट गाँव वालों ने उसका नाम किसी लड़के के साथ जोड़ा और भाग जाने की बात फैला कर खूब बदनामी की। जब वह प्यार का मतलब भी नहीं समझती थी , तब उस पर किसी की प्रेमिका की संज्ञा दे उसे बेवजह ही बदनाम किया गया। हाँ,,,,आप सब जरूर सोचेंगे नैना इतनी ही सती सावित्री थी तो इल्जाम क्यों लगा ? कुछ तो गलत की ही होगी ना,,ऐसे ही कोई किसी को थोड़े इतनी बड़ी बात कह देता है।ये सवाल उठना भी लाज़मी है।नैना एक दिन स्कूल के बाहर अपने क्लास के एक लड़के से नोट्स के लिए बात कर रही थी। चूँकि नैना उतनी भी समझदार नहीं थी कि उसे गलत भी कहा जा सकता है वह बहुत ही अच्छे से व्यवहारिक होकर हँस हँस कर बातें कर रही थी साथ बालसुलभ मन की कुछ बातें जैसे हाथ मिलाना और मुस्कुराना आदि क्रियाएँ हो रही थी।यह सारा दृश्य नैना के गाँव का एक व्यक्ति देख रहा था जो नैना के परिवार से सबसे ज्यादा ईर्ष्या करता था। उसने नैना के पापा को बुलाया और नैना की शिकायत भी की। नैना के पापा ने बिना जाने सोचे समझे नैना को बहुत पीटा जिसके कारण वह हॉस्पिटल में दाखिल हो गई। तब गांव वालों ने ये ख़बर फैलाई कि नैना ने ज़हर खा कर आत्महत्या करने की कोशिश की।इस बात से अनजान कि *बोले गए शब्द वापस नहीं आते* गॉंव वालों ने इतने अपशब्द कहे कि नैना का जीना भी मुश्किल था।
नैना के पिता जी भी एक पढ़े लिखे, सुलझे और समझदार व्यक्ति थे। उन्होंने नैना की बातों पर भरोसा किया और नैना को पढ़ाया लिखाया और इतने संस्कारों से सींचा की आज नैना अपने गाँव की सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी और संस्कारी बेटी है।नैना ने 10 साल के कठिन संघर्ष किया । और आज उन लोगों की सोच बदल दी जो कभी उसे गलत कहते थे और अब वो लोग अपने *बोले गए शब्द वापस नहीं ले सकते* लेकिन नैना से नज़रें भी नहीं मिला पाते हैं।नैना ने पढ़ लिख कर खुद को योग्य बनाकर ये साबित कर दिया कि हमें लोगों की बातों का सुन कर कभी अपने मार्ग से नहीं भटकना चाहिए और जो सच होता है एक दिन सामने जरूर आता है।नैना ने किसी को पलट कर जवाब नहीं दिया लेकिन उसकी काबिलियत आज सबके मुँह में ताले लगा देती है। हमें अपनी मानवीयता कभी नहीं भूलनी चाहिए। छोटों से कोई गलती होती है तो उसे समझाना चाहिए और सही मार्ग दिखाना चाहिए ना बदले की भावना से उसे और बिगाड़ना चाहिए। हमें ऐसे शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए जो हमें एक दिन नज़र झुकाने के लिए विवश कर दें।
रीता प्रधान
रायगढ़ छत्तीसगढ़
Vijay Pandey
24-Apr-2022 11:56 AM
V nice
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AAHIL KHAN
10-Jan-2022 04:27 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
09-Jan-2022 01:04 AM
सही है👌👌
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